बाबा जयगुरुदेव

पृथ्वी
     और
               हम, हमारी एकात्मता ही मानव धर्म है वैसे अगर हम पुरे ब्रह्माण्ड का अध्ययन करें तो पाएंगे एक पृथ्वी सत्य है इससे भी ऊपर उठ कर विचार करें तो पता चलेगा की एक आत्मा ही अजर अमर है बाकि सब नश्वर है जिसे धरती पर किसी कारण वश उतारा गया है अगर ऐसा न हुआ तो सब व्यर्थ है अर्थात आत्मा को को छोड़ बाकी सभी चीजें नष्ट हो जाने वाली है ।  

इससे भी ऊपर उठ कर ज्ञानार्जन की दिशा के प्रक्रिया या प्रयास को आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अब विनाश की ओर बढ़ रहे है जो की इस संसार का नियम है जिसे हम सभी सृजन - संहार कहते हैं ।     थोड़ी सी बुद्धि लगाने से ही यह पता चलता है कि मनुष्य व्यापार के लिए त्याग नहीं करताव्यापार के लिए अपनी जान नहीं खोताकिन्तु अपने आदर्शों के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देता है लेकिन आज मनुष्य अपने जीवन मूल्यों को न समझते हुए रुपयों- पैसों को मूल समझते हुए विनाश की दिशा में तेजी से बढ़ चला है जिस पर बाबा जयगुरुदेव ने ठीक ही कहा है -


हिरे को हीरा मान लिया तो हीरा हो गयासोने को सोना मान लिया तो सोना हो गया आज कागज के नोट चलते हैं तो उसे धन समझ लिया । 
मानव अपनी बुद्धि - विवेक से इस नए युग में जिस भौतिकी में प्रगति किया है उसका हम निश्चित रूप से समर्थन करते हैं परन्तु दूसरों को नीचे कर अपने को ऊपर उठाने का उग्र विचार लालच का ही प्रतिफल है और हमारे आध्यात्मिक राष्ट्र भारत में लालच की धारणा रख कर विकास करना या विकास की आशा करना निरी मूर्खता नहीं तो क्या है ? आज की पूंजीवादी व्यवस्था में किसी भी वैज्ञानिक मशीनरी को क्रियान्वित कर विकास की अपेक्षा रखना या अपने मनुष्यत्व को बढ़ावा देना कितनी बड़ी समझदारी है ये हम वैचारिक लोगों को समझना चाहिए ।

युवा शक्ति का लोहा दुनिया भर में माना जाता है लेकिन युवा शक्ति को सकारात्मकता की ओर मोड़ना बहुत बड़ी चुनौती होती है और जहाँ इस शक्ति को सही दिशा में मोड़ा जा सका है वहीं नई ऊँचाइयाँ नापी जा सकी हैं ।
मैं देखता हूँ कि जिन अंग्रेजों ने यह अनाचारता का बोया था वह तो यहाँ से चले जरूर गए .... - बाबा जयगुरुदेव 
र्ज से दूर रहना । एक बार कर्जा ले लिया तो अदा करना मुश्किल पड़ जाता है । मूल तो अदा हो जाता है मगर ब्याज की रकम बढ़ती ही जाती है ख़तम होने का नाम नहीं लेती । कैसे अदा करना है तुम्हे सोचना होगा । मालिक की दया तो है ही । जब भजन करोगे और इस काम की प्रमुखता दोगे तभी अनुभव होगा । सत्संग में बार - बार यह बात समझाई जाती है । वक्त के साथ चलोगे तभी आराम मिलेगा । समय तो ख़राब है ही किसी तरह इसे पार करना है । 

मैं इसके लिए इनमे शोधूंगा । हमारी पहली योजना, पहला काम है कि हिंदुस्तान के भूमिजोतकों के सरकारी कर्जे के व्याज को, जितना भी है माफ़ कर दिया जायेगा । ये सीधा फैसला है, सीधी सड़क है । इसके इधर - उधर जाने की जरुरत नहीं । यह सीधा है, खुदाई है जो ईश्वर का, भगवान का मानवता का, इन्सानियत का फैसला है । यह अधिकार है तुम्हारे पास । तुमने अपने अधिकार को पता नहीं कहाँ - कहाँ दिया और बुद्धि को, जो सोचने के लिए थी, उसको पिटारे में बंद कर दिया । अब वह कुछ भी नहीं सोचती । कोई न कोई तो आपके इस अधिकार को वापस आपके हाँथ में देने के लिए होना ही चाहिए जो बताये और तुमको मालूम हो जाय कि तुम्हारे पास कितनी शक्ति है तुम्हारे अधिकार की  

50 - 55 सालों में ऐसा भौतिकवाद आया कि किसी की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है । अब जो मैं पहले बोलता था खड़े हो कर वह लोगों को याद आ रहा है । उस समय तो तुम लग गए पैसा पैदा करने में । फिर भी पूरा नहीं पड़ता । आपने अपने शरीर को ख़राब किया, मन बुद्धि ख़राब किया, जीवात्मा को नरक की तरफ धकेल दिया लेकिन चैन तब भी नहीं मिल रहा है । - बाबा जयगुरुदेव पत्रिका लिंक (शाकाहारी सदाचारी बल संघ ०७ मई २००५ से १३ मई २००५)

ज कल लड़के वालों के ऊपर कई बोतल का नशा होता है लड़की वालों के लिए एक शादी करना मुश्किल हो रहा है । जिनके पास दो चार लड़कियां हों उनके लिए क्या कहूं । यदि आप तैयार हो जायँ तो इन सबका, भन्डाफोड़ कर दिया जाय पुराने ज़माने में भी राम राज्य में भी लेन-देन होता था । जो कुछ लड़की वाले ख़ुशी से और शुद्ध भावना से लड़के वाले को दे देते थे वह उसे धन्यवाद सहित स्वीकार करता था । 


तुम उस देश के रहने वाले हो जहाँ लोग योग करते थे, तपस्वी थे, दानी थे, धर्मात्मा थे । तुम अपनी संस्कृति को भूल गए, विदेशी संस्कृति को अपना लिया और भोग में लग गए । पशुओं जैसे रहने लगे ।  पशु तो फिर भी कुदरत के नियम से रहता है आपने तो रोग पाल लिया । अभी आपने क्या आफत देखी ? वह तो चली आ रही है । बाबाजी ने हर तरह से आपको समझाया है, आगाह किया है ।

ह मथुरा नगरी है । मैं सन ४० के पहले यहाँ आया था तब कोई लकड़ी का खड़ाऊ पहन कर भी दुकानों में नहीं चढ़ सकता था, लहसुन प्याज दुकानों में नहीं मिलती थी । इतना सबको परहेज था । अब क्या हो गया । अब तो दुकानों में अण्डे आ गए, शराब मांस मछली का बोलबाला है । क्या दया रह गयी ? कोई धरम करम नहीं रह गया, छुआछूत नहीं रह गया । अब तो अगर महात्माओं की दया हो जाय तभी बच सकते हैं नहीं तो काल भगवान का खेल है कुछ का कुछ कर दे उसे क्या देर लगती है ।

पको पुरानी चीजों को याद करना होगा । सच बात यह है कि नई पद्दति का सूत्रपात होगा । आप अभी से अपने को बदलो, अपने स्वाभाव में अच्छी बातें लाओ यह अच्छा रहेगा । कुदरती प्रेरणा का प्रेरक नई हवा ऐसी चलेगी जो किसी के मस्तक में नहीं है ।

गुरु की पुतली में मालूम हुआ कि एक विशाल ज्योति जल रही है जिसमे आकार है और उसी ज्योति की किरणें समूचे ब्रह्माण्ड को अपनी कशिश में लपेटे हुए हैं और उन्ही किरणों पर यह जगत सरसब्ज है । एक तरह की जबरदस्त मस्ती आ गयी और विकारी अंग दूर हो गया । 

तो बात स्वर्ण जयंती की है । तो सोने से ही बात उठाई जाय । जब देश आज़ाद हुआ था उस समय सोने की कीमत १०० रुपये से भी नीचे थी और विदेशी कर्ज के नाम पर तो कुछ भी नहीं था ।  अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया और भारत के जिम्मेदार लोगों को सत्ता सौंप दी । 

स सन्दर्भ में बाबाजी ने एक प्रश्न कई बार दोहराया कि आपको सत्ता मिल गई, फ़ौज- फाटे मिल गए, जनता मिल गई, खजाना मिल गया फिर ये रोज-रोज आंदोलन हड़ताल, तोड़-फोड़, आगजनी, लूटपाट क्यों ? लेकिन इस प्रश्न का जवाब देने के लिए कोइ जिम्मेदार व्यक्ति सामने नहीं आया । 



मुसलमानों गौर से समझोअब तो मुहम्मद आएंगे नहीं । दूसरा कोई आ जाय खुदा के पैगाम को ले कर उसको मानेंगे नहीं । दुनिया की गुनहगार बस्ती में जो गुनाह पहाड़ों की तरह जमा कर रहे इन गुनाहों को किन वसूलों से उतरोगे ? हक़ और ईमान खुदा के पास पंहुचा दिया । मुहब्बत व रहम और प्यार कदमों तले कुचल दिया । अब ख्वाहिशों की जिस्मानी दुनियां में मजे ले रहे हो । खुदा से आज़ाद पैगम्बरों के कलामों से बेखबर मुहम्मद साहब को भी बदनाम कर दिया । रहम और ईमान और रूहों के बरक़रार रहने पर इस्लाम बना हुआ है । रूहों को किस कदर बेरहमी से सजा दी जा रही है । जो चाहो सो करो, खुदा न जमीन पर न आसमान पर । मुहम्मद साहब के साथ जो-जो जुल्म किये गए जबान से कहने में शर्म आती है । अब तो जिंदगी का बसर शराब के कतरे पर हो रहा है और खुल कर शराब के प्याले इस्लाम को आगे रख कर पिए जा रहे । यदि इस्लाम के जानने वाले होते तो इतना कत्लेआम इण्डोनेशिया में नहीं होता । आखिर वह भी तो मुसलमान हैं । खैर अब तैयार हो जाओ । खुदा ने अपने कलामों को कहलाया है कि अब वक्त आ रहा है । अब सबको सजा दी जाएगी शकून, मुहब्बत, प्यार, रहम और ईमान ये तो बाद में तब आएगा । 



3 टिप्‍पणियां:

Balbodi Ramtoriya ने कहा…

जय गुरुदेव संत महात्माओं की वाणी काफी अच्छी लगी
Very good information' jaigurudev

rti of monu ने कहा…

यह आपका बड़प्पन है बहुत शुक्रिया

Prem Kumar ने कहा…

महापुरुष ही देश दुनिया की सम् हाल करते हैं